प्रशांत पंड्या का फिला जगत

डाक टिकट संग्रह के सर्व प्रथम हिन्दी ब्लॉग में आपका स्वागत है | इस माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय भाषा में डाक टिकट संग्रह के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का यह एक प्रयास है |



दोस्तों,

मेरे १५ जून २००९ के पोस्ट मैंने व्यक्तिगत डाक टिकटों के बारे में लिखा था | मैंने भारत में व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट के प्रायोगिक रूप पर जारी किए जाने के बारे में भी लिखा था | उस वक्त भारत में आधिकारिक तौर पर व्यक्तिगत डाक टिकट जारी नहीं किये गए थे लेकिन अब हमारी प्रतीक्षा का अंत काफी निकट है |


दिल्ली में आयोजित विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी 'INDIPEX-2011' १२ फरवरी २०११ से प्रगति मैदान में शुरू हो रही है | इस प्रदर्शनी में विश्व के करीब ७० देशो के डाक टिकट संग्रहको ने भाग लिया है |
इस् प्रदर्शनी की सबसे रोमांचक बात यह है के इस प्रदर्शनी के दौरान भारतीय डाक विभाग द्वारा व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट 'MY STAMPS' भारत में पहली बार जारी किये जा रहे है | व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट पर आप अपनी मुस्कुराती हुई तस्वीर छपवा कर उसका उपयोग अपने प्रियजनों और दोस्तों को बधाई भेजने के लिए या अपने और कोई निजी प्रयोग के लिए कर सकते है | ये निजी डाक टिकट छह विषयों के डाक टिकटों पर मुद्रित किया जाएगा: १. रेल, २. हवाई जहाज, वन्य जीव, पंचतंत्र, राशियों और ताज महल | इस विषयों के डाक टिकट के साथ आपको अपनी पसंदीदा तस्वीर की व्यक्तिगत टिकटें मिल सकती है | तो दोस्तों INDIPEX-2011 के दौरान अपनी तस्वीर क्लिक कराये और अपना स्वयं का डाक टिकट बनवा कर घर जाए |

भारतीय डाक विभाग INDIPEX-2011 के दौरान १३ फरवरी को छह टिकटों का एक सेट, भारतीय सिनेमा की महान अभिनेत्रियों सावित्री, नूतन, मीना कुमारी, लीला नायडू, देविका रानी और कानन देवी के ऊपर जारी कर रहा है |

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INDIPEX-2011 विश्व टिकट संग्रह प्रदर्शनी के अवसर पर भारतीय डाक विभाग द्वारा महात्मा गांधी के ऊपर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया जा रहा है, जो टिकट "खादी" (Hand-spun Cotton Material) से बनाया जायेगा | भारत में इस् प्रकार की डाक टिकट पहली बार जारी होगी |



विश्व की पहली एअर मेल फ्लाइट ने १८ फरवरी को १९११ के दिन उड़ान भरी थी इस उड़ान के १०० वर्ष के उपलक्ष में १२ फ़रवरी २०११ को एक औपचारिक उड़ान का आयोजन इलाहाबाद से नैनी तक किया गया है | इस उड़ान में विशेष पोस्टमार्क वाले ५००० प्रथम दिवस विशेष कवर ले जाये जायेंगे | एक विशेष डाक टिकट भी इस अवसर पर १२ फरवरी २०११ को जारी की जाएगी |


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दोस्तों INDIPEX-2011, विश्व स्तर के डाक टिकट संग्रह देखने और दुनिया भर में डाक टिकट संग्रहको को मिलने का यह एक सुवर्ण अवसर होगा | आप सबको इस प्रदर्शनी में मिलने की अवस्य उम्मीद करता हूँ |

प्रिय दोस्तों,

एक लंबे अंतराल के बाद, मैं फिर से वापस मेरे हिन्दी ब्लॉग की शुरुआत कर रहा हूँ | अभी तक के मेरे कार्य और मेरे ब्लॉग आप लोगोने सराहना की है उसके लीये में आप सब का आभारी हूँ | मुझे यकीन है कि आपको ब्लॉग का नया रूप पसंद आएगा |


ब्लॉग की शुरुआत मैं हमारे एक सबसे वरिष्ठ philatelists श्री एच सी मेहता की पत्र लेखन के बारे भेजी हुई मनोव्यथा और भावनाओं के साथ कर रहा हूँ | आशा है आप सब उनकी भावनाओं के साथ सहमत होंगे |

आप का .....
प्रशांत पंड्या

६.२.२०११

पत्र लेखन और डाक टिकट संग्रह

क्या पत्र लिखने के दिन अब चले गये है क्या ? जवाब है हां | सेल फोन, इंटरनेट और ईमेल के दिनों में यह बिल्कुल सच है | इसका डाक टिकट संग्राहकों के ऊपर सीधा प्रभाव पड़ता है | आज हम अपने संग्रह के लिए mint stamps जरुर प्राप्त कर सकते है लेकिन used stamps मिलना या used covers मिलना आज कठिन हो गया है |  डाक विभाग के अंतर्देशीय पत्र आज अप्रचलित हो गए हैं | लोगों को अभी तक वाणिज्यिक लिफाफे (Commercial Covers) जो डाक घरों में उपलब्ध है उसके के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए वे स्टेशनरी की दुकान पर भरोसा करते है और वहां से वाणिज्यिक लिफाफे खरीदते है |  मुख्य रूप से लिखित पत्राचार आज के दौर में आवेदन पत्र, सरकार पत्रों या निविदाएं आदि भेजने तक ही सिमित हो चूका है |


पत्र लेखन के ह्रासमान के साथ, अच्छे हस्ताक्षर भी आज गायब हो गए है | लेकिन आज भी एक पीढ़ी है जो अभी तक पत्र लेखन की सराहना करती आई है क्योंकि हाथ से लिखे हुए पत्र में एक निजी स्पर्श महसूस होता है | जब आप अपने प्रिय या स्वजन को पत्र लिखकर भेजेंगे तो वह पत्र आपकी अपनी भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है |


रीडर्स डाइजेस्ट के सितम्बर, 2010 के अंक मे प्रकाशित एक पत्र का उल्लेख यहाँ करना चाहूँगा |


"इस डिजिटल युग में हाथ से लिखा पत्र प्राप्त करना सुगंधित फूलों का एक गुलदस्ता प्राप्त करने की तरह है | हस्तलिखित पत्र पीढ़ियों और संबंधो को बाँधता हैं | " - नीना वजीर, शिमला.
मुझे उम्मीद है कि लोग फिरसे पत्र लिखने के शुरुआत करेंगे और वो भी अपनी लिखावट में | यह  उनके लिए खुशी की बात होगी | आज इस डिजिटल युग का सबसे बुरी बात यह है की पत्र के अंत में टिप्पणी दी जाती है की "यह एक कम्प्यूटरीकृत पत्र है इसलिए कोई हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं  है |" क्या आपको यह आपको पसंद आएगा ?




"The Charity begins at home." हम डाक टिकट संग्राहकों को अपनी लिखावट में पत्र लिखने की शुरुआत करनी चाहिए और लिफाफे के ऊपर स्मारक डाक टिकटों का उपयोग करना चाहिए |  मुझे आशा है कि मेरी अपील पर किसी का ध्यान पारित नहीं होगा |


सौजन्य: श्री एच सी महेता, नडियाद